►इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जानादर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जानातुझसे क़िस्मत में मेरी सूरत-ए-कुफ़्ल-ए-अबजदथा लिखा बात के बनते ही जुदा हो जानादिल हुआ कशमकशे-चारा-ए-ज़हमत में तमाममिट गया घिसने में इस उक़्दे का वा हो जानाअब ज़फ़ा से भी हैं महरूम हम, अल्लाह-अल्लाह!इस क़दर दुश्मन-ए-अरबाब-ए-वफ़ा हो जानाज़ोफ़ से गिरियां मुबदृल व-दमे-सर्द हुआबावर आया हमें पानी का हवा हो जानादिल से मिटना तेरी अन्गुश्ते-हिनाई का ख्यालहो गया गोश्त से नाख़ुन का जुदा हो जानाहै मुझे अब्र-ए-बहारी का बरस कर खुलनारोते-रोते ग़म-ए-फ़ुरकत में फ़ना हो जानागर नहीं नकहत-ए-गुल को तेरे कूचे की हवसक्यों है गर्द-ए-रह-ए-जौलाने-सबा हो जानाताकि मुझ पर खुले ऐजाज़े-हवाए-सैक़लदेख बरसात में सब्ज़ आईने का हो जानाबख्शे है जलवा-ए-गुल ज़ौक-ए-तमाशा, गालिबचश्म को चाहिए हर रंग में वा हो जाना ◄----------मिर्ज़ा ग़ालिब
►इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
ReplyDeleteदर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
तुझसे क़िस्मत में मेरी सूरत-ए-कुफ़्ल-ए-अबजद
था लिखा बात के बनते ही जुदा हो जाना
दिल हुआ कशमकशे-चारा-ए-ज़हमत में तमाम
मिट गया घिसने में इस उक़्दे का वा हो जाना
अब ज़फ़ा से भी हैं महरूम हम, अल्लाह-अल्लाह!
इस क़दर दुश्मन-ए-अरबाब-ए-वफ़ा हो जाना
ज़ोफ़ से गिरियां मुबदृल व-दमे-सर्द हुआ
बावर आया हमें पानी का हवा हो जाना
दिल से मिटना तेरी अन्गुश्ते-हिनाई का ख्याल
हो गया गोश्त से नाख़ुन का जुदा हो जाना
है मुझे अब्र-ए-बहारी का बरस कर खुलना
रोते-रोते ग़म-ए-फ़ुरकत में फ़ना हो जाना
गर नहीं नकहत-ए-गुल को तेरे कूचे की हवस
क्यों है गर्द-ए-रह-ए-जौलाने-सबा हो जाना
ताकि मुझ पर खुले ऐजाज़े-हवाए-सैक़ल
देख बरसात में सब्ज़ आईने का हो जाना
बख्शे है जलवा-ए-गुल ज़ौक-ए-तमाशा, गालिब
चश्म को चाहिए हर रंग में वा हो जाना ◄----------मिर्ज़ा ग़ालिब